Ridima Hotwani

Add To collaction

लेखनी कविता प्रतियोगिता -24-Nov-2021

लेखनी दैनिक कविता प्रतियोगिता।


शीर्षक:: गुलाम-ए-मधुरमुस्कान।।
***************************
कर दो ये ऐलान
नहीं हम किसी के गुलाम
हृदय-वंदन संग सभी को
करबद्ध सलाम🙏
करेंगे छोटे-बडे़ सबका विनम्र सम्मान
बदलें में भेंट देना आप भी थोड़ा सा
आदर-ए-सम्मान
नर-नार, संगी-सखा, बड़ा-बूढा,
हो चाहे युवक यां छोटा-सा बच्चा
मालिक हो यां नौकर, हर एक का
आज जागृत स्वाभिमान है
सब रुपों में धरा पर श्वांस ले रहा
प्राणरुपेण-प्राणी-ओ-इंसान है
आज सबको अपने स्वरुप की 
निखरित-मुखरित सहज पहचान है
नहीं सहता आज कोई किसी का अभिमान है
समय बड़ा बलवान है,चल रहा कलयुगी वर्तमान है
चिंतन-अवचिंतन-अर्धचिंतन तक में धरना ध्यान है
सबका अपना गुजर-ए-कट रहा अहसान-ए-कर्म-प्रधान है
नहीं यहां कोई भी किसी का गुलाम है
जीवन जीना होंठों पे रखकर खिली-खिली मुस्कान है
जहां में येनकेनप्रकारेण स्वीकारी पड़े जब कोई गुलामी
खुदा ने बख्शां गुलाम-ए-गुलाम को गुलामी-ए-शिकस्त
गुलाम-ए-मधुरमुस्कान है।।

कविता प्रतियोगिता हेतु 🌷🙏
मेरी स्वरचित कृति।
धन्यवाद 🙏

   7
3 Comments

Zakirhusain Abbas Chougule

24-Nov-2021 11:46 PM

Nice

Reply

Niraj Pandey

24-Nov-2021 08:14 PM

बहुत ही बेहतरीन

Reply

Swati chourasia

24-Nov-2021 08:13 PM

Very beautiful 👌

Reply